प्रेरक प्रसंग:- साधना पथ

Posted on: 2024-10-29


तीर्थाटन को जानेवाले कुछ ग्रामीण भाईयों ने संत तुकाराम से भी साथ चलने की प्रार्थना की तुकारामजी ने अपनी असमर्थता प्रकट की उन्होंने तीर्थयात्रियों को एक कड़वा घिया देते हुए कहा, “कृपया इसे अपने साथ ले जाएँ और जहाँ-जहाँ भी जाएँइसे भी पवित्र जल में स्नान करा लायें |”

ग्रामीणों ने उनके गुढ़ार्थ पर गौर किये बिना ही वह कड़वा घिया ले लिया अपने साथ उसे भी विभिन्न तीर्थों में स्नान काराते और मंदिरों में दर्शन काराते हुए वे अपने गाँव वापस लौट आये और उन्होंने वह घिया संत तुकाराम को दे दिया तुकारामजी ने सफल  तीर्थयात्रा के उपलक्ष में सबको प्रीतिभोज पर आमंत्रित किया तीर्थयात्रियों को विविध पकवान परोसे गये तीर्थों में नहाए हुए घिया कि तरकारी विशेष रूप से बनवायी गई |  जब उन लोगों ने उसे खाना शुरू किया तो सबने पाया कि वह तरकारी कड़वी  कैसे हो सकती है ?  यह तो उसी घिया से बनी हैतो तीर्थस्नान कर आया है बेशक यह तीर्थटन से पहले कड़वा थामगर आश्चर्य है कि तीर्थस्नान के पश्चात् भी उसमें कड़वाहट विद्यमान है |”

यह सुन उन तीर्थयात्रियों को बोध हुआ कि तीर्थाटन कि अपेक्षा एक स्थान पर बैठकर प्रभु कि श्रद्धापूर्वक वंदना करना ही श्रेयस्कर है |