सा भार्या शुचिद्क्षा सा भार्या या पतिव्रता |
सा भार्या या पतिप्रीता सा भार्या सत्यावादिनी ||
यहां आचार्य चाणक्य पत्नी के स्वरुप की चर्चा करते हुए कहते हैं, वही पत्नी है, जो पवित्र और कुशल हो | वही पत्नी है, जो पतिव्रता हो | वही पत्नी है, जिसे अपने पति से प्रीति हो | वही पत्नी है, जो पति से सत्य बोले |
आशय यही है कि जिसका आचरण पवित्र हो, कुशल गृहिणी हो, जो पतिव्रता हो, जो अपने पति से सच्चा प्रेम करे और उससे कभी झूठ न बोले, वही स्त्री पत्नी कहलाने योग्य है | जिस स्त्री में ये गुण नहीं होते, उसे पत्नी नहीं कहा जा सकता |
अर्थात आदर्श पत्नी वही है जो मन, वचन तथा कर्म से पवित्र हो, उसके गुणों का गहन विवेचन करते हुए बताया गया है कि शरीर और अंत: करण से युद्ध, आचार-विचार स्वच्छ ग्रिह्कार्यों यथा भोजन, पीसना, काटना, धोना, सीना – पिरोना और साज-सज्जा आदि में निपुण, मन, वचन और शरीर से पति में अनुरक्त और पति को प्रसन्न करना ही अपना कर्तव्य - कर्म माननेवाली, निरंतर सत्य बोलनेवाली, कभी हंसी-मजाक में भी ऐसी कोई बात नहीं करनेवाली जिससे थोड़ा भी संदेह पैदा होता हो, वही घर स्वर्ग होगा वरना समझिये की वह इन गुणों के आभाव में घर नहीं नरक है |