चंद्रयान - 4 चांद पर कहां लैंड करेगा, जानें ISRO के मिशन की डिटेल

Posted on: 2024-05-15


चंद्रयान - 3 को सफलतापूर्वक लैंड कराने के बाद ISRO की टीम चांद पर नए मिशन चंद्रयान -4  के लिए जुट गई है | ISRO ने चांद पर लैंडिंग साइट को लेकर बड़ा खुलासा किया है | 


पिछले साल 23 अगस्त को ISRO ने चंद्रयान -3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंड कराकर इतिहास रच दिया था | अब ISRO चांद पर एक बार फिर अपनी धाक जमाने के लिए जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ काम कर रहा है | दोनों मिलकर लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (LUPEX) पर काम कर रहे हैं | इसी मिशन का नाम चंद्रयान -4  है | चंद्रयान -4 की चांद पर लैंडिंग साइट क्या होगी ? इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है | मिशन पर काम कर रहे एसएसी निदेशक नीलेश देसाई ने बताया है कि चंद्रयान -4  की लैंडिंग साइट का चंद्रयान -3 से गहरा कनेक्शन है | 

इस मिशन पर जापान और भारतीय दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं | यह मिशन साल 2028 तक लॉन्च किए जाने की उम्मीद है| 


चांद पर कहां लैंड करेगा चंद्रयान -4  


नीलेश देसाई ने बताया है कि मिशन में हमारी कोशिश है कि चंद्रयान -4 को चांद की उस सतह पर उतारा जाए, जहां चंद्रयान -3 की लैंडिंग हुई थी | देसाई के मुताबिक, चंद्रयान -3 को शिव शक्ति प्वाइंट के जितना हो सके उतना पास उतरने की कोशिश की जाएगी, बता दें कि शिव शक्ति प्वाइंट चांद पर वो स्थान है, जहां चंद्रयान -3 की लैंडिंग हुई थी | 

 

 खास जगह पर लैंडिंग की वजह

 

देसाई का कहना है कि चंद्रयान-4 को शिव-शक्ति पॉइंट के पास उतारने का कारण बेहद खास है। दरअसल, इस स्थान पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग हुई थी और लैंडिंग के बाद यान ने चांद की अगला सतह पर तमाम खोज की थी। चंद्रयान-4 को अपने मिशन को लेख बढ़ाने में मदद मिलेगी। शिव-शक्ति पॉइंट वो जगह है, जहां चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चांद की सतह पर पानी समेत कई महत्वपूर्ण चीजों की खोज की थी।

 

देसाई ने यह भी कहा कि मिशन एक चंद्र दिवस के बराबर होगा | बता दें कि चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। गौरतलब है कि चांद पर रातें बेहद सर्द होती हैं। इस दौरान चांद पर तापमान -200 डिग्री तक चला जाता है। इस दौरान यान के उपकरणों के खराब होने या जमने की काफी संभावना होती है। यही वजह है कि एक चंद्रदिवस के बाद जब इसरो की टीम ने चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम से संपर्क करने की कोशिश की तो नहीं हो पाया।


जटिल मिशन है चंद्रयान-4 


चंद्रयान-4 इसरो का बेहद जटिल मिशन है। इसरो की टीम चाह रही है कि चंद्रयान-3 ने चांद पर जो सफलता हासिल की, यान-4 उससे एक कदम आगे बढ़कर अपना काम शुरू करे ताकि चांद को और समझने में आसानी हो। चंद्रयान-4 मिशन के तहत यान में कई प्रक्षेपण और अंतरिक्ष यान मॉड्यूल शामिल होंगे। इसरो ने मिशन के लिए अलग-अलग पेलोड ले जाने के लिए दो अलग-अलग रॉकेट, हेवी-लिफ्ट एलवीएम-3 और वर्कहॉर्स पीएसएलवी लॉन्च करने की योजना बनाई है।

 

इस मिशन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य चांद के नमूने एकत्र कर और वैज्ञानिक विश्लेषण के लिए उन्हें पृथ्वी पर वापस लाना है। अगर चंद्रयान-4 ऐसा करने में कामयाब हो जाता है तो संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।